कुछ सुना कुछ अनसुना कर दिया...कुछ कह दिया तो कुछ अनकहा छोड़ दिया...शब्द तो होते है
हज़ारो लाखों,क्या हुआ जो सभी का अर्थ नहीं जान लिया...दुनियां कहती है तो कहती रहे,इस दिल
के दर्पण पे कुछ लिखा तो बाकी सब मिटा भी दिया...कुछ सुनहरे अक्षर जो तारीफें-काबिल थे उन का
मान बहुत रखा..अक्षर भी हज़ारो पढ़े पर जिस पे लिखा था रंगे-खुदा उन को ज़मीर मे अंकित कर
लिया...छन-छन पायल बजती है यू जैसे सारे जहान से दुआ का कोई बेशकीमती खज़ाना मिल गया...