जेहन मे उठती हुई जिनदगी की परेशानिया भी है-पर इसी जेहन मे मुहबबत की यादे
भी है--यू तो यह जिनदगी हजारो नियामते देती है,पर दे कर बहुत कुछ छीन भी लेती है
--गाहे बगाहे इन यादो को परिनदो की तरह उडा देते है--पर कहते है ना यादो को दफन
कर दो कितना भी-पर इन की एक इमारत बन जाती है जिगऱ के किसी कोने मे------
भी है--यू तो यह जिनदगी हजारो नियामते देती है,पर दे कर बहुत कुछ छीन भी लेती है
--गाहे बगाहे इन यादो को परिनदो की तरह उडा देते है--पर कहते है ना यादो को दफन
कर दो कितना भी-पर इन की एक इमारत बन जाती है जिगऱ के किसी कोने मे------