Wednesday, 12 October 2016

बहुत दूर चलने के बाद,यह ख्याल आया ....बहुत दूर चलने के बाद,यह ख्याल आया ...

बहुत दूर चलने के बाद,यह ख्याल आया क़ि राहे-इश्क मे कही किसी की मुहब्बत को छोड़ आये है...

अपने पीछे जो देखे निशा किसी के कदमो के,खुद के हसीं होने का गुमान हो आया...लौट सकते नहीं

राहे-इश्क मे अब पीछे,बस किसी के कदमो के आगे होने का अहसास साथ साथ हो आया..पर्दानशी

इंतज़ार करे गे ताउम्र तेरा,इबादत मे रखे गे खुदा के बाद बस नाम तेरा..इन लफ़्ज़ों की याद मे फिर

से यही ख्याल आया,कोई है आज भी जिस के लिए यह सारी दुनिया छोड़ आये है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...