हर गुजरता लम्हा हमी से हमारी उम्र को चुरा रहा है.....ओस की बूंदो की तरह यह वक़्त भी हमारे
हाथो से फिसल रहा है....खुद की धडकनों को जो सुने,तो यह आज भी बेबाक धड़क रही है...किसी
भी खौफ से दूर,हर इम्तिहान के लिए तैयार हो रही है....उम्र और वक़्त से परे,यह अपने मेहबूब पे
निसार हो रही है....जा रे वक़्त तू क्या हम से चुराए गा,मेहबूब की बाहों का यह प्यार तेरी ही धज़्ज़िया
उड़ा जाए गा.....
हाथो से फिसल रहा है....खुद की धडकनों को जो सुने,तो यह आज भी बेबाक धड़क रही है...किसी
भी खौफ से दूर,हर इम्तिहान के लिए तैयार हो रही है....उम्र और वक़्त से परे,यह अपने मेहबूब पे
निसार हो रही है....जा रे वक़्त तू क्या हम से चुराए गा,मेहबूब की बाहों का यह प्यार तेरी ही धज़्ज़िया
उड़ा जाए गा.....