Thursday 1 February 2018

हम इक पहेली है,यह कह कर दोस्ती का दामन छोड़ दिया---हर बात पे खामोश ही खामोश है,गुफ्तगू

का दायरा सीमित कर दिया-----मुस्कराहट पे हमारी कुबान होने वाले,उस शख़्स ने जैसे हम को इक

गुनहगार ही मान लिया----कैसे बताए उस को कि खुद का दर्द बांटने की आदत ही नहीं.....दुनिया को

अपनी हसी से हँसा दे,इस से जयदा कुछ चाहा ही नहीं....छोटी सी इक दुनिया है मेरी,दुनिया जवाब-

तल्ब करे...इस से पहले खुद ही दुनिया को छोड़ दिया....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...