Wednesday, 21 February 2018

हर मोड़ पे हम भूल पे भूल करते चले गए...तुझी को पाने की कोशिश मे,कभी रोए कभी बेबस होते

चले गए....मेहंदी रची तेरी उन हथेलियों को आज भी याद करते है,तेरे माथे की उस बिंदिया पे जब

किसी और का नाम जान लेते है...यकीं नहीं होता कि राहे अब ज़ुदा है हमारी...अकेले चलने की

हालत मे बस तबाह होते चले गए....दीवाने बने तो इतना बने कि भूल पे भूल करते चले गए ...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...