Tuesday 13 February 2018

कलम अपनी को जरा रोकिये ना,या फिर मुझ को इन्ही पन्नो पे कहानी की तरह लिख लीजिए ना ..

इतने लफ्ज़ो मे कभी मेरा नाम भी लिखा कीजिए,प्यार के अल्फाज़ो मे कुछ अल्फ़ाज़ हमारे नाम

भी कीजिए....सुन कर इन की बात हम बेतहाशा हँस दिए....याद कीजिए उस वक़्त को,हमारी कलम

की जादूगिरी पे कुर्बान सब से जय्दा आप थे...हम से जय्दा इन्ही पन्नो के कायल भी आप थे....उम्र

भर का जब साथ है,तो पन्नो पे नाम आप का क्यों लिखे ....दिल की किताब मे बसे है जब,तो कुछ

ख्याल अब हमारा भी तो कीजिए ......

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...