Monday 19 February 2018

तेरे रूप के चर्चे सुने,तेरी आँखों के ना जाने कितने नाम सुने....शिद्दत से  चाहने वाले  तेरे दीवाने

भी सुने...कुछ तेरे नाम से जिए,कुछ तेरे नाम से मरे.....सुर्ख लबो की तारीफ मे गुलाब कितने ही

झुके.....गेसू जब जब बंध के खुले,बादल भी उतनी तेज़ी से बरसे और बरसते ही रहे...पायल की खनक

से बिजली जो चमकी,आसमान के सीने मे कुछ तीर ऐसे भी चुभे...कि चाँद की चांदनी उस के आगोश

मे लिपटी हज़ारो अफ़साने कहे...हा अब तेरे इस रूप को देखने के लिए,यह मेरे कदम हज़ारो मील की

दुरी तय करने के लिए...अब तेरे पास आने को हुए ....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...