नजऱ के आगे इक नजऱ और भी है..तेरी हर वफा को सलाम करने के लिए..दुआ के
आगे इक दुआ और भी है..मुुहबबत तो करते है हजारो इस दुनिया मे..पर मुहबबत को
आखिरी दम तक निभाने के लिए..इनायत की यह नजऱ कुछ और ही है..कदमो को
बढाया है मैने तुझ से रिशता पानेे के लिए..पर तेरे कदम बढाने की अदा कुछ और ही है
आगे इक दुआ और भी है..मुुहबबत तो करते है हजारो इस दुनिया मे..पर मुहबबत को
आखिरी दम तक निभाने के लिए..इनायत की यह नजऱ कुछ और ही है..कदमो को
बढाया है मैने तुझ से रिशता पानेे के लिए..पर तेरे कदम बढाने की अदा कुछ और ही है