Tuesday 10 May 2016

नजऱ के आगे इक नजऱ और भी है..तेरी हर वफा को सलाम करने के लिए..दुआ के

आगे इक दुआ और भी है..मुुहबबत तो करते है हजारो इस दुनिया मे..पर मुहबबत को

आखिरी दम तक निभाने के लिए..इनायत की यह नजऱ कुछ और ही है..कदमो को

बढाया है मैने तुझ से रिशता पानेे के लिए..पर तेरे कदम बढाने की अदा कुछ और ही है

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...