मजबूर तो वो हो जाते है..जो गमे-हालात से डर जाते है---कहने के लिए जब जुबाॅ ना
खुले तो अशको का सहारा लेते है---किशती जो भॅवर मे डूबी है,किनारे अब ढूॅढे गे कहा...
रूखसती को अपना लेते है---यह जिनदगी तो बहारे-जशना है...टूटो गे तो बस तोडे गी..
दम भरने को जो लो गे साॅसे..तेरे आॅगन से यह गम डर कर भागे गे---
खुले तो अशको का सहारा लेते है---किशती जो भॅवर मे डूबी है,किनारे अब ढूॅढे गे कहा...
रूखसती को अपना लेते है---यह जिनदगी तो बहारे-जशना है...टूटो गे तो बस तोडे गी..
दम भरने को जो लो गे साॅसे..तेरे आॅगन से यह गम डर कर भागे गे---