Saturday 14 May 2016

यकीॅ नही आता कि तेरी बाहो मे है--नजारो मे है कितनी शोखी कि हम तो बस तेरी ही

पनाहो मे है--लग रही है जिनदगी कयू इतनी खूबसूरत कि पूरी कायनात तो जैसे तेरी

निगाहो मे है--किस से कहे कैसे कहे..ऐ मेरे खुदा पास है हमसफर हमनशीॅ मेरा...अब

तो दोनो जहाॅ मेरे हाथो मे है---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...