दोष दुनिया को दिया तो खुद तनहाॅ हो गए..खुद को दागे-दार किया तो परेशाॅ और हो
गए..जीने की खवाहिश मे कभी मरते रहे तो कभी मर मर के जीते रहे..लगे जब बाॅटने
खुशिया तो दुखो से यह आॅचल भरता गया..भरता ही गया...अजीब शै है यह मुकददर
भी कि कुछ करने की कोशिश मे..बरबाद होते चलेे गए...बस होते चले गए...
गए..जीने की खवाहिश मे कभी मरते रहे तो कभी मर मर के जीते रहे..लगे जब बाॅटने
खुशिया तो दुखो से यह आॅचल भरता गया..भरता ही गया...अजीब शै है यह मुकददर
भी कि कुछ करने की कोशिश मे..बरबाद होते चलेे गए...बस होते चले गए...