अकसर खनक जाती हैै यह पायल,रात के अॅधेरे मे--हजारो बिजलियाॅ कौॅध जाती है..
तपते जिसम के वीराने मे--सरहद के उस पार इक घर है तेरा,जिॅदगी से परे कुछ अजीब
सा आसमाॅ है मेरा--करते है हर बार इकटठा उन झुरमुट मे छिपे सितारो को,रफता
रफता इॅतजाऱ करते है तेरा--ना जाने फिर भी कयू खनक जाती है यह पायल रातो के
अॅधेरे मे--
तपते जिसम के वीराने मे--सरहद के उस पार इक घर है तेरा,जिॅदगी से परे कुछ अजीब
सा आसमाॅ है मेरा--करते है हर बार इकटठा उन झुरमुट मे छिपे सितारो को,रफता
रफता इॅतजाऱ करते है तेरा--ना जाने फिर भी कयू खनक जाती है यह पायल रातो के
अॅधेरे मे--