Sunday 8 May 2016

अकसर खनक जाती हैै यह पायल,रात के अॅधेरे मे--हजारो बिजलियाॅ कौॅध जाती है..

तपते जिसम के वीराने मे--सरहद के उस पार इक घर है तेरा,जिॅदगी से परे कुछ अजीब

सा आसमाॅ है मेरा--करते है हर बार इकटठा उन झुरमुट मे छिपे सितारो को,रफता

रफता इॅतजाऱ करते है तेरा--ना जाने फिर भी कयू खनक जाती है यह पायल रातो के

अॅधेरे मे--

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...