Tuesday, 17 May 2016

दरद जो आॅखो से बहा,उतरा सीधा दिल मे तेरे--जखम जो मिला जमाने से,हुआ गहरा

सीने मे तेरे--जुडे हैै तार जब रूहो के..मिले है दरद जब दोनो के..खाक की है जिॅदगीया

जब जमाने ने--फिर रजिॅशो का यह मातम कैसा..कशमकश का यह सिलसिला कैसा--

आ भिगो दे यह गम सारे मुहबबत मे..कि यह रूहे पयार ही तो हैै जो सिमटा है सीधा

ठीक दिल मे तेरे--

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...