Wednesday 7 June 2017

महफ़िल सजी है आज कद्रदानों के साथ..हज़ारो चाहने वाले हमे सलाम बजा रहे है आज---कहने के

लिए यू तो बहुत सवरे है आज..घुँघरू की आवाज़ मे कौन सुन पा रहा  है मेरी धडकनों की फरियाद---

यह तो इक बाजार है बाशिंदो की हर ताल के साथ..जहा बिकती है रुहे हर तड़पती सांस के साथ---

इंतज़ार करते है किसी उस मसीहा का,जो करे गा आज़ाद इस महफ़िल से आज---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...