महफ़िल सजी है आज कद्रदानों के साथ..हज़ारो चाहने वाले हमे सलाम बजा रहे है आज---कहने के
लिए यू तो बहुत सवरे है आज..घुँघरू की आवाज़ मे कौन सुन पा रहा है मेरी धडकनों की फरियाद---
यह तो इक बाजार है बाशिंदो की हर ताल के साथ..जहा बिकती है रुहे हर तड़पती सांस के साथ---
इंतज़ार करते है किसी उस मसीहा का,जो करे गा आज़ाद इस महफ़िल से आज---
लिए यू तो बहुत सवरे है आज..घुँघरू की आवाज़ मे कौन सुन पा रहा है मेरी धडकनों की फरियाद---
यह तो इक बाजार है बाशिंदो की हर ताल के साथ..जहा बिकती है रुहे हर तड़पती सांस के साथ---
इंतज़ार करते है किसी उस मसीहा का,जो करे गा आज़ाद इस महफ़िल से आज---