Tuesday 20 June 2017

चलते चलते.. बार बार सवाल करती है यह ज़िन्दगी...कभी ज़लज़ले कभी हसरते तो कभी हर पल का

हिसाब मांग लेती है यह ज़िन्दगी--सबर  की इंतिहा  तक ले जा कर,किसी खामोश मोड़ पर फेक देती

है ये ज़िन्दगी---थोड़ी सी ख़ुशी दे कर,हज़ारो आंसुओ से भिगो देती है यह ज़िन्दगी---हर पल आगे

जाने की रफ़्तार को,एक ही झटके मे तबाह कर जाती है यही ज़िन्दगी---फिर भी साँसों की डोर को

बांधे हुए,जीने पे मज़बूर कर रही यह ज़िन्दगी--यह ज़िन्दगी----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...