अल्फ़ाज़...अल्फ़ाज़ और अल्फ़ाज़...हज़ारो पन्ने भर दिए इन्ही अल्फाज़ो से हम ने---बरसो बाद भी
तेरी जुदाई के एहसास को, न भर सके यही पन्ने---जिस्म तो मिट ही जाया करते है,रूह तो आज़ाद
हो कर भी आज़ाद नहीं होती--मुझ से मिलने की खातिर तेरी रूह का यही तोहफा,आज भी साथ है
मेरे--दुनिया कहती रहे बेशक दीवाना मुझ को,तेरी मेरी इसी गुफ्तगू को पन्नो मे इस कदर भर दिया
हम ने कि पुश्त दर पुश्त रूहो के प्यार को इन्ही पन्नो मे पढ़ती जाए गी---
तेरी जुदाई के एहसास को, न भर सके यही पन्ने---जिस्म तो मिट ही जाया करते है,रूह तो आज़ाद
हो कर भी आज़ाद नहीं होती--मुझ से मिलने की खातिर तेरी रूह का यही तोहफा,आज भी साथ है
मेरे--दुनिया कहती रहे बेशक दीवाना मुझ को,तेरी मेरी इसी गुफ्तगू को पन्नो मे इस कदर भर दिया
हम ने कि पुश्त दर पुश्त रूहो के प्यार को इन्ही पन्नो मे पढ़ती जाए गी---