Monday 19 June 2017

इस भोली मुस्कान मे,मुझे तेरी वो मुस्कान याद आती है--मेरा छिपना और तेरा मुझे ढूंढ़ना,वो प्यारे

लम्हे याद आ जाते है--जो बीत गया वो भूलना आसान नहीं मेरे लिए,कि पल पल तुझे बाहों मे झुलाना

यादो का सैलाब बन के याद आ जाता है--मै जब नहीं रहू गी तब भी साथ अपने, तेरी तमाम यादो को ले

जाऊ गी---तब तू मेरा होगा,यही सोच कर रूह को सकून से तर कर पाऊ गी---जनम कभी नहीं लेना

फिर इस दुनिया मे,कि यहाँ जुदा होने के बाद जीना दुश्वार हो जाता है--- 

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...