Saturday 18 October 2014

दुनियाॅ दीये जलाए गी,फूल मालाएॅॅ भी चढाए गी,देर रात तक पटाखो की गूॅज सेे पूरे

जमाने को जगाए गी..खुदा से पूछते हैै हम, कया सच मे इन रसमो से खुश होते हैैै आप.

रात भर जितने दीये आप की इबादत मे जलते है,पर एक तरफ जब कितनी झोपडियो

मे घोर अनधेरा होता है.कितने मासूम पटाखो की गूॅज को तरसते है.पूजा की करोडो ही

थालियाॅ परसाद से भरी आप को भेॅट की जाती है.पर हजारो गरीबो की भूख तरसती है

खाने को..कया तब भी खुश होते है आप..................

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...