Sunday 26 October 2014

पीछे मुड कर देखा तो गहरा अॅधेरा था,दिल को चीरती हुई खामोशी थी...जानते थे फिर

जो देखा मुड कर पीछे,तो मर जाए गे...बडा रहे है कदम उस रौशनी की तरफ,जो रासता

दिखा रही है उजाले की तरफ...यह मॅजर तो होगा उस सिॅहासन का,जहाॅ पहुच कर
नजारा होगा जननत का...


दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...