बेहद प्यार से इक नाज़ुक़ से फूल को सीने से लगाया हम ने...बगीचे मे सब से अलग,सब से जुदा उस
को पाया हम ने...डरते रहे उस को छूने से सिर्फ इस ख्याल से,मासूम है जो इतना-कही बिखरे ना सिर्फ
मेरे एहसास भर से...हर पंखुड़ी जैसे कुदरत ने तराशी हो,ऐसे लगा तलाश सारे बगीचे मे उस को भी
हमी की हो...ज़मीर ने दी आवाज़ किसी कोने से,चुन लिया है तो संभाल कर रख इसे इबादत के लिए...
किस्मत ऐसी सब को नहीं मिलती..जो जुदा हो सब से,ऐसी तासीर कभी नहीं मिलती...
को पाया हम ने...डरते रहे उस को छूने से सिर्फ इस ख्याल से,मासूम है जो इतना-कही बिखरे ना सिर्फ
मेरे एहसास भर से...हर पंखुड़ी जैसे कुदरत ने तराशी हो,ऐसे लगा तलाश सारे बगीचे मे उस को भी
हमी की हो...ज़मीर ने दी आवाज़ किसी कोने से,चुन लिया है तो संभाल कर रख इसे इबादत के लिए...
किस्मत ऐसी सब को नहीं मिलती..जो जुदा हो सब से,ऐसी तासीर कभी नहीं मिलती...