वादे का बेशक कोई जवाब ना दे..हकीकत तो सारी जानते है हम..जो दूर तक साथ चले,वो राज़ ही जब
जानते है हम..भोली सी सूरत मगर इरादे गुस्ताख़ है..नज़र ही जब नज़र को ना पहचाने तो प्यार का
क्या कसूर है...इरादे तेरे बेशक गुस्ताख़ सही,मगर डोर तो तेरी हमारे हाथ है..अब तू महके या फिर
बहके मंज़िल तो एक है...नज़रअंदाज़ ना करना कभी हमे कि हमारी डोर साँसों की,अब सिर्फ तुम्हारे
हाथ है..
जानते है हम..भोली सी सूरत मगर इरादे गुस्ताख़ है..नज़र ही जब नज़र को ना पहचाने तो प्यार का
क्या कसूर है...इरादे तेरे बेशक गुस्ताख़ सही,मगर डोर तो तेरी हमारे हाथ है..अब तू महके या फिर
बहके मंज़िल तो एक है...नज़रअंदाज़ ना करना कभी हमे कि हमारी डोर साँसों की,अब सिर्फ तुम्हारे
हाथ है..