ताल-मेल ही ना बैठा पाए तुम से तो मुहब्बत क्या खाक करे गे...तेरे आने पे सज-संवर ना पाए तो
तुझ को रिझा कैसे पाए गे..तुम कहते हो सादगी मे तुम्हे देखा है,वो रूप तेरा मुझ को भाता है..हम
हंस दिए,सादगी भी तो इक गहना है तुम को रिझाने के लिए...सादगी को सजाने के लिए खुद को
पाक रखना भी तो जरुरी है..मिलन की बेला मे तेरे होश उड़ाना भी तो जरुरी है...पागल तुझ को
कायम रखने के लिए,धडकनों को धड़काना भी तो जरुरी है..
तुझ को रिझा कैसे पाए गे..तुम कहते हो सादगी मे तुम्हे देखा है,वो रूप तेरा मुझ को भाता है..हम
हंस दिए,सादगी भी तो इक गहना है तुम को रिझाने के लिए...सादगी को सजाने के लिए खुद को
पाक रखना भी तो जरुरी है..मिलन की बेला मे तेरे होश उड़ाना भी तो जरुरी है...पागल तुझ को
कायम रखने के लिए,धडकनों को धड़काना भी तो जरुरी है..