यादों के झरोखे से निकलने के लिए खुली हवा मे चले आए है...दर्द को सीने से बाहर करने के लिए फूलो
से मिलने बाग़ मे चले आए है...कशिश मुहब्बत की जीने नहीं देती,दिमाग की सोच इस को छोड़ने ही
नहीं देती...वो ढाई अक्षर प्यार के तूफ़ान मचा देते है..सहेज के रखे तो भी दिल थाम लेते है.. ''.मुहब्बत''
मुस्कुरा दिए किसी की याद मे..लौट चले है फिर वही,जहां ढाई अक्षर लिखे है हमारे प्यार के..
से मिलने बाग़ मे चले आए है...कशिश मुहब्बत की जीने नहीं देती,दिमाग की सोच इस को छोड़ने ही
नहीं देती...वो ढाई अक्षर प्यार के तूफ़ान मचा देते है..सहेज के रखे तो भी दिल थाम लेते है.. ''.मुहब्बत''
मुस्कुरा दिए किसी की याद मे..लौट चले है फिर वही,जहां ढाई अक्षर लिखे है हमारे प्यार के..