हवाएं कह रही है आज तुझे कोई सन्देश नहीं भेज पाए गे...बर्फ की गहरी चादर मे बसे है इस कदर कि
चह कर भी बर्फ से निकल नहीं पाए गे...फिक्रमंद ना होना हमारे लिए,बर्फ की ढंडक को भी ख़ामोशी
से सह जाए गे...तेज़ हवा से गर डरना होता तो कब के जमीं पर बिखरे होते..अब तो इन हवाओं से
गिला भी नहीं करते..बेशक कहे तो कहती रहे कि आज तुझे सन्देश ना भेज पाए गे..
चह कर भी बर्फ से निकल नहीं पाए गे...फिक्रमंद ना होना हमारे लिए,बर्फ की ढंडक को भी ख़ामोशी
से सह जाए गे...तेज़ हवा से गर डरना होता तो कब के जमीं पर बिखरे होते..अब तो इन हवाओं से
गिला भी नहीं करते..बेशक कहे तो कहती रहे कि आज तुझे सन्देश ना भेज पाए गे..