Friday, 27 September 2019

यह दिल है या मुहब्बत का मंदिर..फूल खिलते है इस मे वफाओ के,साँसे महकती है इस मे यकीन

और दुआओ की..कदमो मे है किसे के आने की आहट..आँखों मे है सपनो का दर्पण..आंचल मे है

हल्का सा कम्पन..लब थरथराते है बिन कहे किसी बात के..पलकों के कोने देख लेते है उन को

खुशबू की आगाज़ से...रात लेती है जब भी आगोश मे हम को,ओस गिरती है जैसे पत्तो पे ,दिल

धड़कते है इसी धड़कन की आवाज़ पे...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...