यह दिल है या मुहब्बत का मंदिर..फूल खिलते है इस मे वफाओ के,साँसे महकती है इस मे यकीन
और दुआओ की..कदमो मे है किसे के आने की आहट..आँखों मे है सपनो का दर्पण..आंचल मे है
हल्का सा कम्पन..लब थरथराते है बिन कहे किसी बात के..पलकों के कोने देख लेते है उन को
खुशबू की आगाज़ से...रात लेती है जब भी आगोश मे हम को,ओस गिरती है जैसे पत्तो पे ,दिल
धड़कते है इसी धड़कन की आवाज़ पे...
और दुआओ की..कदमो मे है किसे के आने की आहट..आँखों मे है सपनो का दर्पण..आंचल मे है
हल्का सा कम्पन..लब थरथराते है बिन कहे किसी बात के..पलकों के कोने देख लेते है उन को
खुशबू की आगाज़ से...रात लेती है जब भी आगोश मे हम को,ओस गिरती है जैसे पत्तो पे ,दिल
धड़कते है इसी धड़कन की आवाज़ पे...