नज़र से नज़र दूर है भले,मगर वो नज़र तो दिल के पास है...गुफ्तगू का सिलसिला कितनी दूर हो,
मगर बात दिल से दिल की तो बरक़रार है...अंदाज़ सूफ़ियाना तो आज अब है,मिलने पे अंदाज़ फिर
वही आशिक-याना ही होगा...महके गा बदन फिर उसी महक से,जलवा मुहब्बत का कभी कम ना होगा..
यादो का सिलसिला कहां खतम होता है,बशर्ते ज़िंदगी दगा ना दे .....
मगर बात दिल से दिल की तो बरक़रार है...अंदाज़ सूफ़ियाना तो आज अब है,मिलने पे अंदाज़ फिर
वही आशिक-याना ही होगा...महके गा बदन फिर उसी महक से,जलवा मुहब्बत का कभी कम ना होगा..
यादो का सिलसिला कहां खतम होता है,बशर्ते ज़िंदगी दगा ना दे .....