Saturday, 21 September 2019

नज़र से नज़र दूर है भले,मगर वो नज़र तो दिल के पास है...गुफ्तगू का सिलसिला कितनी दूर हो,

मगर बात दिल से दिल की तो बरक़रार है...अंदाज़ सूफ़ियाना तो आज अब है,मिलने पे अंदाज़ फिर

वही आशिक-याना ही होगा...महके गा बदन फिर उसी महक से,जलवा मुहब्बत का कभी कम ना होगा..

यादो का सिलसिला कहां खतम होता है,बशर्ते ज़िंदगी दगा ना दे .....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...