जब भी वो मुझ से मिलते है,एक ही बात कहते है..तुम जैसा कोई और नहीं दूजा,तेरी फितरत के
निशाँ कहाँ मिलते है..जो समझ सके मेरी बातो को,जो उलझ सके मेरी आँखों से..ऐसे दिलदार
कहाँ मिलते है..''महक गए तेरी बातो से,दहक गए तेरी इन आँखों से..खिलखिला दिए तेरी देख
मासूम अदा,अल्हड़पन से भरा चेहरा तेरा..तेरी आँखों मे जो डूब सके,तेरी उलझन को जो समझ
सके..तेरी माया तू ही जाने,हम ने भी कहा..इस मुमताज़ को भी कहा मिले गा तेरे जैसा शहंशाह''...
निशाँ कहाँ मिलते है..जो समझ सके मेरी बातो को,जो उलझ सके मेरी आँखों से..ऐसे दिलदार
कहाँ मिलते है..''महक गए तेरी बातो से,दहक गए तेरी इन आँखों से..खिलखिला दिए तेरी देख
मासूम अदा,अल्हड़पन से भरा चेहरा तेरा..तेरी आँखों मे जो डूब सके,तेरी उलझन को जो समझ
सके..तेरी माया तू ही जाने,हम ने भी कहा..इस मुमताज़ को भी कहा मिले गा तेरे जैसा शहंशाह''...