तेरे आने के इंतज़ार मे,कभी कभी हम यू ही तेरी राहो मे बिखर जाया करते है...हसरते शायद कभी
पूरी ना भी हो,मगर उम्मीदों के दिए तो अक्सर जलाया करते है..बेवजह कभी कभार याद कर के उन
हसींन यादो को,इन आँखों से आंसू भी छलकाया करते है...मगर लबो पे हंसी रख कर,इस ज़माने मे
अपना रुआब बनाया करते है..नाज़ुक तो आज भी उतने है मगर,इन नाज़ो को निभाने के लिए ही
आज भी तेरी ही राहो मे उसी तरह बिखर जाया करते है..
पूरी ना भी हो,मगर उम्मीदों के दिए तो अक्सर जलाया करते है..बेवजह कभी कभार याद कर के उन
हसींन यादो को,इन आँखों से आंसू भी छलकाया करते है...मगर लबो पे हंसी रख कर,इस ज़माने मे
अपना रुआब बनाया करते है..नाज़ुक तो आज भी उतने है मगर,इन नाज़ो को निभाने के लिए ही
आज भी तेरी ही राहो मे उसी तरह बिखर जाया करते है..