Friday 8 March 2019

ज़िद ना करे,शिकवा ना करे..तेरी बेरुखी पे तुझ से हंस कर बात भी करे..खड़े है तेरे ही कटघरे मे ,

क्या करे क्या ना करे..मुनासिब नहीं तेरे बिना जीना,चुपचाप रहे कि तुझ से अब उलझ पड़े..इन

जुल्फों को सँवारे कि घटा बन कर बरसने दे..ख़ामोशी की भी इक हद है,अब बोल ज़रा खुद को खुद

से जुदा कर ले या तुझ से लिपट कर तुझी को घायल कर दे...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...