एक नदिया है जो बहती रहती है...दरिया है जो बेखौफ चलता रहता है...शोर इतना किया कि खामोश
रहना ही भूल गए...मनाही तो नहीं बहने चलने की,इनायत तो करो खामोश होने की...समंदर का शोर
देखा है...नाराज़गी मे ना जाने कितना चीत्कार करता है,इतना कि रूह काँप जाती है..फैला है मीलो मे
मगर जब अपने पे आ जाये तो बेहद खामोश भी हो जाता है..दर्द का तूफान लिए ख़ामोशी से ठहर सा
जाता है...
रहना ही भूल गए...मनाही तो नहीं बहने चलने की,इनायत तो करो खामोश होने की...समंदर का शोर
देखा है...नाराज़गी मे ना जाने कितना चीत्कार करता है,इतना कि रूह काँप जाती है..फैला है मीलो मे
मगर जब अपने पे आ जाये तो बेहद खामोश भी हो जाता है..दर्द का तूफान लिए ख़ामोशी से ठहर सा
जाता है...