Sunday 3 March 2019

एक नदिया है जो बहती रहती है...दरिया है जो बेखौफ चलता रहता है...शोर इतना किया कि खामोश

रहना ही भूल गए...मनाही तो नहीं बहने चलने की,इनायत तो करो खामोश होने की...समंदर का शोर

देखा है...नाराज़गी मे ना जाने कितना चीत्कार करता है,इतना कि रूह काँप जाती है..फैला है मीलो मे

मगर जब अपने पे आ जाये तो बेहद खामोश भी हो जाता है..दर्द का तूफान लिए ख़ामोशी से ठहर सा

जाता है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...