लिखते लिखते इन अल्फाज़ो ने कहा..कभी तो इन पन्नो पे बात अपने दिल की सुना..ज़माना भी
तो सुने जो तेरे मन मे है,उस की खबर इन को भी बता...मुस्कुरा दिए इन अल्फाज़ो पे..क्या कहे
इस ज़माने से कि ज़िंदगी से मुहब्बत है इतनी..जहा धरते है पाँव खुशियाँ लुटा देते है वही..कोई
कुछ भी क्यों ना कहे,बस मुस्कुरा कर आदाब बजाते है वही..
तो सुने जो तेरे मन मे है,उस की खबर इन को भी बता...मुस्कुरा दिए इन अल्फाज़ो पे..क्या कहे
इस ज़माने से कि ज़िंदगी से मुहब्बत है इतनी..जहा धरते है पाँव खुशियाँ लुटा देते है वही..कोई
कुछ भी क्यों ना कहे,बस मुस्कुरा कर आदाब बजाते है वही..