Thursday 11 April 2019

लिखते लिखते इन अल्फाज़ो ने कहा..कभी तो इन पन्नो पे बात अपने दिल की सुना..ज़माना भी

तो सुने जो तेरे मन मे है,उस की खबर इन को भी बता...मुस्कुरा दिए इन अल्फाज़ो पे..क्या कहे

इस ज़माने से कि ज़िंदगी से मुहब्बत है इतनी..जहा धरते है पाँव खुशियाँ लुटा देते है वही..कोई

कुछ भी क्यों ना कहे,बस मुस्कुरा कर आदाब बजाते है वही..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...