पलट कर देख जरा,सदियों से तेरे दीवाने है--सांसे इतनी भी नहीं ली होगी तूने,जितनी बार नज़र तेरी
उतारी है मैंने--माना कि आईना भी तेरी सूरत को देख जला करता है,एक है यह मेरी कशिश जो ठंडी
आहे भरा करती है--लुट चुके है तेरे प्यार मे इस कदर,कि भीगे बारिश मे तो भी तड़प का अहसास होता
है---सदियों से तेरे आशिक है,मगर पलट कर तूने एक बार भी मुझे देखा ही नहीं---
उतारी है मैंने--माना कि आईना भी तेरी सूरत को देख जला करता है,एक है यह मेरी कशिश जो ठंडी
आहे भरा करती है--लुट चुके है तेरे प्यार मे इस कदर,कि भीगे बारिश मे तो भी तड़प का अहसास होता
है---सदियों से तेरे आशिक है,मगर पलट कर तूने एक बार भी मुझे देखा ही नहीं---