Monday 8 April 2019

हँसते हँसते बस छलक आई आंखे,यक़ीनन  माँ की दुआ का असर है...खुद-ब-खुद चल कर आना चाहती

है मंज़िल,ऊपर वाले के प्यार का असर है...इबादत मे जुड़े यह हाथ,खुद ही खुदा से क्या मांग बैठे ....

अब लगता है जितना दर्द सहा अब तक,उस के ख़तम होने का वक़्त आया है...अहसान कितना लेते

परवरदिगार को आखिर हम पे रहम आया है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...