हँसते हँसते बस छलक आई आंखे,यक़ीनन माँ की दुआ का असर है...खुद-ब-खुद चल कर आना चाहती
है मंज़िल,ऊपर वाले के प्यार का असर है...इबादत मे जुड़े यह हाथ,खुद ही खुदा से क्या मांग बैठे ....
अब लगता है जितना दर्द सहा अब तक,उस के ख़तम होने का वक़्त आया है...अहसान कितना लेते
परवरदिगार को आखिर हम पे रहम आया है...
है मंज़िल,ऊपर वाले के प्यार का असर है...इबादत मे जुड़े यह हाथ,खुद ही खुदा से क्या मांग बैठे ....
अब लगता है जितना दर्द सहा अब तक,उस के ख़तम होने का वक़्त आया है...अहसान कितना लेते
परवरदिगार को आखिर हम पे रहम आया है...