Thursday 29 March 2018

तेरे ख्वाबो की तस्वीर तो है,तेरे जीवन की कोई खूबसूरत सी नज़्म भी है.....तेरी सांसो को जो खुशबु

दे,उसी बहती नदिया की कोई पहचान भी है....सुबह की पहली किरण से जो याद आउ,रात ढले तो

सपनो मे जगह ले जाऊ....मंदिर की कोई मूरत भी नहीं,परियो के देश से उतरी कोई परी भी नहीं...

ना कोई रिश्ता है,ना समाज के दायरों मे बंधा कोई नाम भी है....लेकिन....मेरे बिना तेरा कोई वज़ूद

नही....बस यूं कहे तेरे जीवन की कोई खूबसूरत नज़म ही है....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...