तेरे ख्वाबो की तस्वीर तो है,तेरे जीवन की कोई खूबसूरत सी नज़्म भी है.....तेरी सांसो को जो खुशबु
दे,उसी बहती नदिया की कोई पहचान भी है....सुबह की पहली किरण से जो याद आउ,रात ढले तो
सपनो मे जगह ले जाऊ....मंदिर की कोई मूरत भी नहीं,परियो के देश से उतरी कोई परी भी नहीं...
ना कोई रिश्ता है,ना समाज के दायरों मे बंधा कोई नाम भी है....लेकिन....मेरे बिना तेरा कोई वज़ूद
नही....बस यूं कहे तेरे जीवन की कोई खूबसूरत नज़म ही है....
दे,उसी बहती नदिया की कोई पहचान भी है....सुबह की पहली किरण से जो याद आउ,रात ढले तो
सपनो मे जगह ले जाऊ....मंदिर की कोई मूरत भी नहीं,परियो के देश से उतरी कोई परी भी नहीं...
ना कोई रिश्ता है,ना समाज के दायरों मे बंधा कोई नाम भी है....लेकिन....मेरे बिना तेरा कोई वज़ूद
नही....बस यूं कहे तेरे जीवन की कोई खूबसूरत नज़म ही है....