Sunday 11 March 2018

तुझे याद करे या तुझे भूल जाए....तेरी यादो के साथ जिए या फिर इस ज़िंदगी से दूर बहुत दूर कही

निकल जाए....दस्तक दे रही है आज भी तेरी वोही सुनहरी यादे,सीने को सुलगा रही है तेरी रूमानी

बातें....इन सब को समझने के लिए दुनिया की समझ कोरी है,बेकार की गुफ्तगू के लिए यह दुनिया

मुझ पे यक़ीनन भारी है....इन सभी से अलग तेरी ही नज़रो मे हम तेरे है...अब तू ही बता,इन को

खुद मे शामिल करे या सिरे से नकार जाए...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...