Tuesday, 27 March 2018

 हरदिल अज़ीज़ रहे तुम मेरे,मेरी आँखों के ऐसे सितारे .....परवरदिगार से कहने के लिए अपने लिए

कुछ भी ना था...मांगी सारी दुआए बस तेरे ही लिए.....दुआए होगी क़बूल एक दिन,इतना यकीं था

उस की रहमत पर.....कभी रहे ज़लज़ले,कभी बही तेज़ अँधिया....टुकड़े हुए दिल के कभी,कभी बह

गया सारा आशिया....काम था बस दुआ बांटना,दुआओ मे तेरी सारी शख्सियत को बस निखारना ....

ना कोई ढोंग था,ना कोई आराधना..सीधा सादा यह मन,परवरदिगार के आगे सचमुच बह गया....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...