सुन साजन मेरे...कानो मे ज़रा इक आवाज़ तो दे....प्यार का वो पहला पैगाम तो दे...बरसो पहले
उसी इकरार का फिर से इज़हार तो दे...बिखरी हुई इन जुल्फों मे अपनी अँगुलियों का वही एहसास
तो दे....तेरी ज़िंदगी के हमराज़ है,नायाब लम्हो के राजदार भी है...शुक्रिया है तेरे इस प्यार का ..सजन
मेरे,उन्ही खूबसूरत लम्हो का आज फिर से पुराना अंदाज़ तो दे....
उसी इकरार का फिर से इज़हार तो दे...बिखरी हुई इन जुल्फों मे अपनी अँगुलियों का वही एहसास
तो दे....तेरी ज़िंदगी के हमराज़ है,नायाब लम्हो के राजदार भी है...शुक्रिया है तेरे इस प्यार का ..सजन
मेरे,उन्ही खूबसूरत लम्हो का आज फिर से पुराना अंदाज़ तो दे....