बहुत ख़ामोशी से सुपुर्द किया इसी धरा के नाम...और इतिहास समझ सब धीरे धीरे भूल गए....गाहे
बगाहे मौको पे दो आंसू से बस याद किया... लेकिन हम ने चुपके से,उन सभी कमियों को याद किया
और जन्मो का साथ मांग लिया...दिल के दरवाज़े को फिर आहट दी और एक पन्ने पे तेरा नाम लिखा
जज्बात भरे उस पर इतने कि हर जर्रा जैसे सहम गया....कभी लिखा दर्द इतना तो कभी मुहब्बत को
अंजाम दिया....ना भूले धरा की धरोहर को,अपनी पलकों मे बस थाम लिया....
बगाहे मौको पे दो आंसू से बस याद किया... लेकिन हम ने चुपके से,उन सभी कमियों को याद किया
और जन्मो का साथ मांग लिया...दिल के दरवाज़े को फिर आहट दी और एक पन्ने पे तेरा नाम लिखा
जज्बात भरे उस पर इतने कि हर जर्रा जैसे सहम गया....कभी लिखा दर्द इतना तो कभी मुहब्बत को
अंजाम दिया....ना भूले धरा की धरोहर को,अपनी पलकों मे बस थाम लिया....