कही कुछ आहट सी हुई...कही दिल को कुछ एहसास हुआ...चूड़ियाँ खुद ब खुद बजने लगी...पायल
बेसाख़्ता मदहोश होने लगी... परिंदे अपनी उड़ान से फिर ऊँचे जाने लगे...आंखे जो मूंदी तो सपने
भी बस तेरे आने लगे...दोहराने लगी यादे कहानियाँ फिर तेरी...लब खुद ब खुद मुस्कुराने लगे...नशा
मुहब्बत का कुछ ऐसा चढ़ा,कि पाँव रहे ज़मीं पे और हम तेरे साथ तेरी ही यादो मे बस खोने लगे....
बेसाख़्ता मदहोश होने लगी... परिंदे अपनी उड़ान से फिर ऊँचे जाने लगे...आंखे जो मूंदी तो सपने
भी बस तेरे आने लगे...दोहराने लगी यादे कहानियाँ फिर तेरी...लब खुद ब खुद मुस्कुराने लगे...नशा
मुहब्बत का कुछ ऐसा चढ़ा,कि पाँव रहे ज़मीं पे और हम तेरे साथ तेरी ही यादो मे बस खोने लगे....