Saturday 17 March 2018

कही कुछ आहट सी हुई...कही दिल को कुछ एहसास हुआ...चूड़ियाँ खुद ब खुद बजने लगी...पायल

बेसाख़्ता मदहोश होने लगी... परिंदे अपनी उड़ान से फिर ऊँचे जाने लगे...आंखे जो मूंदी तो सपने

भी बस तेरे आने लगे...दोहराने लगी यादे कहानियाँ फिर तेरी...लब खुद ब खुद  मुस्कुराने लगे...नशा

मुहब्बत का कुछ ऐसा चढ़ा,कि पाँव रहे ज़मीं पे और हम तेरे साथ तेरी ही यादो मे बस खोने लगे....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...