वही दिन,वही शाम,वही वक़्त.....जुदाई की राते बहुत ही लम्बी है.....भरी आँखों से मुझे जाते जाते
निहारना,बहुत ही जोर से मेरा नाम ले कर मुझे पुकारना....मेरे पास आते ही,अपनी दुनिया मे चले
जाना.....मेरा बुत बन कर बस खड़े रहना....यकीं करना था बहुत मुश्किल कि साथ तो अब छूट गया
पर बरस दर बरस तेरा मुझे हमेशा यह एहसास दिलाना कि साथ छूटा कहा,मै हू ना पास तेरे...लबो को
फिर से हसी देना,आगोश का एहसास दिला कर यह कहना......सदियों मे पैदा होती है ऐसी दुल्हन
और भरी नज़रो से कही फिर गुम हो जाना.....
निहारना,बहुत ही जोर से मेरा नाम ले कर मुझे पुकारना....मेरे पास आते ही,अपनी दुनिया मे चले
जाना.....मेरा बुत बन कर बस खड़े रहना....यकीं करना था बहुत मुश्किल कि साथ तो अब छूट गया
पर बरस दर बरस तेरा मुझे हमेशा यह एहसास दिलाना कि साथ छूटा कहा,मै हू ना पास तेरे...लबो को
फिर से हसी देना,आगोश का एहसास दिला कर यह कहना......सदियों मे पैदा होती है ऐसी दुल्हन
और भरी नज़रो से कही फिर गुम हो जाना.....