तू करीब से गुजरा इक तूफानी झौंके की तरह...हम ने सराहा तुझे इक मुहब्बत की तरह..हवा के रुख
से तू निकल गया किसी अनजान राह पे,बस हम ही रुके रहे तेरे छोड़े हुए उसी मोड़ पे ..आज भी खड़े
है उसी मोड़ पे,जहां से आगे ना ही पीछे कोई रास्ता है किसी और नाम से...परिशुद्ध था प्यार मेरा या
तेरे लिए कोई अनोखी दास्तां...समझ तेरी तेरे साथ है,वफ़ा की पहचान हमारी बात है...
से तू निकल गया किसी अनजान राह पे,बस हम ही रुके रहे तेरे छोड़े हुए उसी मोड़ पे ..आज भी खड़े
है उसी मोड़ पे,जहां से आगे ना ही पीछे कोई रास्ता है किसी और नाम से...परिशुद्ध था प्यार मेरा या
तेरे लिए कोई अनोखी दास्तां...समझ तेरी तेरे साथ है,वफ़ा की पहचान हमारी बात है...