गुफ्तगू का अंदाज़ बदला तो हम को उन की बेरुखी समझ आई..वक़्त नहीं है अब हमारे लिए,यह बात
ठीक से अब समझ आई..दबे थे जब काम के बोझ से तो पास हमारे आने की जरुरत क्या थी..कोई और
आया है गर ज़िंदगी मे आप के तो क्या हुआ..अब टूटे गे नहीं बेहद ख़ामोशी से आप की ज़िंदगी से
निकल जाए गे..वो प्यार ही क्या जो तेरी बेरुखी पे दम तोड़ दे..किसी और को बेशक चाहो,याद रहे
प्यार की हमारी यह इबादत कोई और नहीं करे गा,आप के लिए..आप को आज़ाद करते है,नई
मुहब्बत के लिए..
ठीक से अब समझ आई..दबे थे जब काम के बोझ से तो पास हमारे आने की जरुरत क्या थी..कोई और
आया है गर ज़िंदगी मे आप के तो क्या हुआ..अब टूटे गे नहीं बेहद ख़ामोशी से आप की ज़िंदगी से
निकल जाए गे..वो प्यार ही क्या जो तेरी बेरुखी पे दम तोड़ दे..किसी और को बेशक चाहो,याद रहे
प्यार की हमारी यह इबादत कोई और नहीं करे गा,आप के लिए..आप को आज़ाद करते है,नई
मुहब्बत के लिए..