Saturday 2 November 2019

कभी राधा कभी मीरा तो कभी पार्वती का रूप धर...यह प्रेम-गाथाएं जग को प्रेम सिखाती रही..राधा

जिस ने कृष्णा को कभी पाया ही नहीं,मीरा जिस के विष मे भी प्यार इक अमृत था...शिव को आराध्य

मान पार्वती उन से जुडी रही..प्रेम का यह अलौकिक रूप जितना जग मे होगा,प्यार का रूप उतना ही

सुंदर होगा..रिश्ते का मोहताज़ कहां है प्रेम..दौलत मे नहीं है प्रेम..तोहफों से बहुत दूर है यह प्रेम..भरोसा

विश्वास के धर्म से बंधा है यह प्रेम..राधा-कृष्ण के प्रेम को जाना तभी तो प्रेम को प्रेम माना.....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...