Wednesday, 27 November 2019

लफ्ज़ो को निखारने के लिए,खुद पे भारी होना जरुरी है..जान-जिस्म खुद से बेज़ार है,मगर लफ्ज़ो का सही

चलना जरुरी है..प्रेम को लिखने के लिए कलम का लिखना जरुरी है..यह जहाँ वैसे ही बेख़याल है प्यार

से,गर प्रेम की परिभाषा को ही लिखना छोड़ दिया तो नफरत का सैलाब उमड़े गा पुरज़ोर से..प्यार कभी

मरता नहीं,प्यार के मायने बदलते है वक़्त से...प्यार,प्रेम और मुहब्बत..जो कण कण मे सांस लेता है ऐसे,

इक नन्ही सी धारा होती है नन्ही,मगर सागर मे मिल जाती है बखूबी मदहोश से...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...