ना कर इतना गुमान अपनी सूरत पे..तेरी इस सूरत को तो हम ने कभी देखा ही नहीं..ना इतरा देह पे
अपनी कि इस देह से कोई नाता रखा ही नहीं..प्रेम ना कभी सूरत से ना कभी देह से होता है..वो तो बस
रूह से होता है..तेरी बेवफाई ने आज यह साबित कर दिया कि मुहब्बत,प्यार और प्रेम के फर्क से तू
कभी वाकिफ हुआ ही नहीं..शायद तुम ही अब काबिल नहीं हमारे शुद्ध प्रेम के..रूह के नाते से तुम कभी
जुड़े ही नहीं..रूह अपनी को मैली ना करना कि तेरी इबादत फिर ना करे सके गे कभी...
अपनी कि इस देह से कोई नाता रखा ही नहीं..प्रेम ना कभी सूरत से ना कभी देह से होता है..वो तो बस
रूह से होता है..तेरी बेवफाई ने आज यह साबित कर दिया कि मुहब्बत,प्यार और प्रेम के फर्क से तू
कभी वाकिफ हुआ ही नहीं..शायद तुम ही अब काबिल नहीं हमारे शुद्ध प्रेम के..रूह के नाते से तुम कभी
जुड़े ही नहीं..रूह अपनी को मैली ना करना कि तेरी इबादत फिर ना करे सके गे कभी...