ख़ामोशी आप की कभी तो कुछ बोले गी..सदियों जो इंतज़ार किया आप का,वो दुआ कभी तो कुछ खोले
गी..मेहरबान जो रहा खुदा हम पे,मुहब्बत रंग लाए गी हमारी..जो ढली इबादत मे,जो शिरकत हुई आप
की खुशियों मे..नमाज़ खुदा की हम पढ़ते है,मस्जिद मे भी हम झुकते है..मंदिर की चौखट पे सर झुका
अपना,आप के लिए हज़ारो मन्नतें मांगते है..एहसान कोई नहीं करते आप पे,सिर्फ अपनी मुहब्बत को
दुआ देते है..रूह को किया जब हवाले आप के तो खुदा के बाद,खुदा भी तो आप को ही कहते है..
गी..मेहरबान जो रहा खुदा हम पे,मुहब्बत रंग लाए गी हमारी..जो ढली इबादत मे,जो शिरकत हुई आप
की खुशियों मे..नमाज़ खुदा की हम पढ़ते है,मस्जिद मे भी हम झुकते है..मंदिर की चौखट पे सर झुका
अपना,आप के लिए हज़ारो मन्नतें मांगते है..एहसान कोई नहीं करते आप पे,सिर्फ अपनी मुहब्बत को
दुआ देते है..रूह को किया जब हवाले आप के तो खुदा के बाद,खुदा भी तो आप को ही कहते है..