Wednesday 6 November 2019

मिलावट कैसे कर पाते तेरे प्यार मे,जब इस मिलावटी दुनियाँ से ही बाहर निकल आए है..कण-कण मे

भर के इस प्यार को,तभी तो पास तेरे आ पाए है..दर्द की वो लहर,आँखों मे बरसती अधूरे सपनों की वो

अजनबी सी इक खबर..पढ़ कौन सकता,जब खुद से ही दूर रहे इतना..अनंत काल के इस शुद्ध-प्रेम का

मतलब यह दुनियाँ कहाँ समझ पाती है..जो खुद इतनी अशुद्ध है कि हर रोज़ किसी ना किसी पे ऊँगली

उठा देती है..शुद्ध प्रेम-गाथा का मतलब बताने ही,इस मिलावटी दुनियाँ से बाहर निकल आए है..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...