बहुत ही मामूली इंसान है हम..दौलत की चकाचौंध से दूर धरा पे झुके इंसान है हम..ग़ुरबत ने सिखाया
दुनियाँ मे चलना,इसी दुनियाँ के तानों ने यह भी सिखाया,खुद के असूलों पे चलना..टूट के टूटे इतना कि
जान गए वज़ूद अपना..धरा पे झुकना फिर भी नहीं छोड़ा,संस्कारो का वो कर्ज आज भी हम पे भारी है..
दिल की आवाज़ आज भी सुन कर,कदम अपने आगे रखते है..कोई क्या कहता है,इस से बेखबर हर पल
अपना जीते है...
दुनियाँ मे चलना,इसी दुनियाँ के तानों ने यह भी सिखाया,खुद के असूलों पे चलना..टूट के टूटे इतना कि
जान गए वज़ूद अपना..धरा पे झुकना फिर भी नहीं छोड़ा,संस्कारो का वो कर्ज आज भी हम पे भारी है..
दिल की आवाज़ आज भी सुन कर,कदम अपने आगे रखते है..कोई क्या कहता है,इस से बेखबर हर पल
अपना जीते है...