Sunday 10 November 2019

मुहब्बत की रस्मे बेशक ना निभा,बस करीब मेरे आता जा..इतने करीब,इतने करीब कि हवा को भी

आने की इजाजत लेनी पड़े..कुछ सपने जो अधूरे है तेरे,कुछ सपने जो मेरे भी है अधूरे...मिल के साथ

चल मेरे,अंजाम इन को देने के लिए...फर्क तुझ मे और मुझ मे सिर्फ है इतना,तू सपनो को मुकम्मल

करते हुए डरता है और हम है इतने बेखौफ कि इन सपनो को खुली आँखों से जिया करते है..कौन है

यह लोग,जिन से डरना है..रास्ते तो खुद हम को बनाने है,इन लोगो से क्या लेना है..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...